गेहूँ के क्षेत्र में करनाल अनुसंधान केंद्र कि एक नई क्रान्ति

गेहूँ के क्षेत्र में करनाल अनुसंधान केंद्र कि एक नई क्रान्ति


गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों ने गेहूँ की एक किस्म करण वंदना डीबीडब्लू-१८७ विकसित कि हैं। यह किस्म रोग रोधी क्षमता रखने के साथ-साथ अधिक उपज देने वाली भी हैं। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गेहूँ कि यह किस्म उत्तर पूर्वी भारत के गंगा तटी क्षेत्र के लिए अधिक उपयुक्त हैं। वर्षों के अनुसंधान के बाद विकसित करण वंदना अधिक पैदावार देने के साथ गेहूँ 'ब्लास्ट' नामक बीमारी से भी लड़ने में भी सक्षम हैं। संस्थान के निर्देशक डॉ० ज्ञान प्रताप सिंह बताते है कि गेहूँ कि इस नई किस्म (करण वंदना डीबीडब्लू-१८७) में रोग से लड़ने में कही अधिक क्षमता हैं। साथ ही इसमें प्रोटीन के अलावा जैविक रूप में जस्ता, लोहा और कई अन्य महत्वपूर्ण खनिज मौजूद है जो आज पोषण अवश्कता के लिहाज से इसे बेहद उपयुक्त बनाता है। यह किस्म पूर्वी उत्तर प्रदेश बिहार, पश्चिम बंगाल, असम जैसे उत्तर पर्वी क्षेत्रों की कृषि भूगोलिक परिस्थितयों और जलवायु में खेती के लिए उपयुक्त हैं। सामान्तः गेहूँ में प्रोटीन कंटेंट १० से १२ प्रतिशत और आयरन कंटेंट ३० से ४० प्रतिशत मौजूद होता हैं, लेकिन इस किस्म में १२ प्रतिशत से अधिक प्रोटीन ४२ प्रतिशत आयरन कंटेंट पाया गया हैं। डीबीडब्लू-१८७ किस्म की बुआई से लगभग ७.५ टन का उत्पादन होता हैं जबकि दूसरी किस्मों में ६.५ टन का उत्पादन मिलता हैं। सामान्य तौर पर धान में ब्लास्ट नामक एक बीमारी देखी जाती थी। लेकिन पहली बार दक्षिण पूर्व एशिया में और अभी हाल ही में गेहूं की फसल में इस रोग को पाया गया था और तभी से इस चुनौती के मद्देनजर विशेषकर उत्तर पूर्वी भारत के अनुरूप गेहूँ कि इस किस्म को विकसित करने के लिए शोध कार्य शुरू हुआ जिसके परिणामस्वरूप करण वंदना असतित्व में आया इसमें कई रोग प्रतिशोधक क्षमता पायी गयी हैं। इस नये किस्म के गेहूँ की बुआई के बाद फसल की बालिया ७७ दिनों में निकल आती है और कुल १२० दिनों में पूरी तरह से तैयार हो जाती हैं। इस किस्म को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान संस्थान महायोगी गोरखपुर कृषि विज्ञान केंद्र, गोरखपुर के साथ मिलकर १६ नवंबर २०१८ को गोरखपुर कई किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया था जिसमें किसानों को करण वंदना बीज की ढाई किलो कि किट भी दी गयी थी जिसमें २ सौ २० किलों गेहूँ का उत्पादन मिला।